History Of Chandragupta Maurya : चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास,जिसने मगध को उजाड़ फेकने की कसम खाई, उस चक्रवर्ती सम्राट के इतिहास को…

History Of Chandragupta Maurya : चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास History Of Chandragupta Maurya


History Of Chandragupta Maurya

भारतीय इतिहास में मौर्य सम्राज्य का इतिहास पुरे विश्व भर में प्रसिद्ध है आइए जानते हैं History Of Chandragupta Maurya,मौर्य सम्राज्य का पूरा इतिहास, दोस्त मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य है, चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था| दोस्तो चंद्रगुप्त मौर्य ने घनानंद के क्रूरता पूर्ण अत्याचार को देखते हुए| चंद्रगुप्त मौर्य ने पुरे मगद् सम्राज्य को उजाड़ फेकने की कसम खाई| मगद् जैसे विशाल सम्राज्य से सामना करना चंद्रगुप्त मौर्य के लिए आसान नहीं था| उन्होंने घनानंद को हराने के लिए चंद्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य की सहायता की मदद से मगद् जैसे विशाल सम्राज्य को नष्ट किए बल्कि घनानंद को हरा कर चंद्रगुप्त मौर्य मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा |

चंद्रगुप्त मौर्य किस धर्म को मानते थे: History Of Chandragupta Maurya, जानकारी के लिए आप को बता दे की चंद्रगुप्त मौर्य मुखत्या जैन धर्म को मानते थे|


चंद्रगुप्त मौर्य का समय कहाँ ब्यतित हुआ: चंद्रगुप्त मौर्य ने घनानंद को मार कर वे अपना जीवन ब्यतित करने के लिए एवं अंतिम समय में उनका बाकी का समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बाकी का समय बीता

चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के मध्य लड़े गए युध्द: History Of Chandragupta Maurya, चंद्रगुप्त मौर्य ने सिंकन्दर के सेना पति सेल्यूकस निकेटर को 305 ईसा पूर्व में हरा कर चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर की पुत्री कार्नेलिया से शादी कर लिए और युध्द की संधि- शर्तो के अनुसार सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त मौर्य को चार प्रांत काबुल, कन्धार, हेरात एवं मकरान चंद्रगुप्त मौर्य को भेट में दिये| इसके बदले में चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को 500 सौ हाथी उपहार में दिए|
चंद्रगुप्त मौर्य ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली थी| मेगस्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहता था|
मेगास्थनीज के द्वारा लिखी गई पुस्तक इंडिका के अनुसार: मेगास्थनीज के अनुसार सम्राट का जनता के सामने आने के अवसरों पर शोधा- यात्रा के रूप में पूरे राज भवन में जशन मनाया जाता था| उन्हें सोने के पालकी में ले जाया जाता हैं| और उनके चारों तरफ उनके अंगरक्षक सोने और चाँदी से अलंकृत हथियाँ पर सवार हो कर आते थे चंद्रगुप्त मौर्य लगातार किसी भी कमरे में लगातार नही सोते थे|


मेगास्थनीज के द्वारा पाटलिपुत्र की जानकारी


मेगास्थनीज के अनुसार पाटलिपुत्र एक विशाल प्राचीर से घिरा था, जिसमें 570 बुर्ज और 64 द्वार थे, दो और तीन मंजिल वाले घर लकड़ी और कच्चे ईंटों से बने होते थे| उस समय राजा का महल भी काठ का बना होता था, जिसे सुंदर नकाशी से अलंकृत किया जाता था जो देखने में काफी सुंदर लगता था|
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई. पू. में श्रवंबेलागोला में बिना अन्य जल ग्रहण ( उपवास के द्वारा चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु हो गया)

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